भोपाल-अप्सरा रेस्टोरेंट में पत्रकार संगठनों के संयुक्त तत्वधान में बैठक का आयोजन हुआ जिसमें मध्य प्रदेश सरकार की जनसंपर्क विभाग की नीतियों के विरोध में उपस्थित पत्रकार गण ने अपने-अपने मत विचार रखें।*
:- इस अवसर पर समाचार पत्रों दैनिक साप्ताहिक मासिक पाक्षिक को मिलने वाले विज्ञापनों से वंचित रखने की नीति को समाप्त करने पर एकमत से सहमति बनी
:- सूची से बाहर दैनिक समाचार पत्रों समस्त पत्रकार संगठनों को मिलाकर एक मध्यप्रदेश संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा का गठन पर सहमति बनी
:- पत्रकार कल्याण निधि प्रक्रिया को सरल बनाने पर बल दिया गया
:- अधिमान्यता प्रदान करने की नीति को सरल बनाया जाए
:- पत्रकार सुरक्षा एवं कल्याण आयोग एवं एक्ट यथाशीघ्र बनाया जाए
:- जनसंपर्क विभाग द्वारा बनाई गई समस्त समितियों को भंग किया जाए
:- जनसंपर्क द्वारा बनाई गई समितियों पॉलिसियों को बनाने से पूर्व पत्रकार संगठनों से मत लिए जाएं तत्पश्चात समितियों का गठन दिया जाए
:- जनसंपर्क विभाग द्वारा बनाई जा रही समितियों में पत्रकार संगठन राष्ट्रीय या प्रादेशिक स्तर के तथा लगभग (5 वर्ष )कम से कम से सक्रिय संगठन हो
:- पत्रकार सुरक्षा कानून का वचन पत्र में शामिल वचन नहीं निभाने के विरुद्ध मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ याचिका लगाई जाए
:- अधिमान्यता पत्रकार के अलावा गैर अधिमान्यता पत्रकारों को जनसंपर्क संचालनालय द्वारा प्रेस परिचय पत्र जारी हो
:- जनसंपर्क संचालनालय की वेबसाइट पर अधिमान्यता पत्रकारों के सात - सात गैर अधिमान पत्रकारों के नाम भी शामिल कर प्रसारित किया जाए।
मध्य प्रदेश संयुक्त पत्रकार संघर्ष मोर्चा के नाम से गठित इस मोर्चे में शामिल पत्रकारों ने मध्य प्रदेश सरकार की जनसंपर्क नीति के विरोध में रणनीति तैयार की।
आई एफ डब्ल्यू जे के प्रदेश अध्यक्ष सलमान खान, एनएमसी के प्रदेश अध्यक्ष सैयद असरार अली. अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के प्रदेश अध्यक्ष सैयद खालिद केस. प्रेस काउंसिल ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के कृष्णानंद शास्त्री, एम एन तिवारी , फ़िरोज़ ख़ान, अनुभव मिश्रा , दौलत राम साहू सहित विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों एवं पत्रकारों ने एक स्वर में पत्रकारों की समस्याओं के निदान के लिए आवाज बुलंद की।