श्रीप्रकाश सिंह निमराजे,अध्यक्ष, गोपाल किरन समाजसेवी संस्था, राहत कार्य एवं शिक्षा,सामाजिक विकास एवं मानव कल्याण, को गणतंत्र दिवस पर जिला प्रशासन से मिला प्रशंशा पत्र।
 
 ग्वालियर।प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप में समाजसेवा मैं लगा है। परंतु समाजसेवा में अपनी एक अलग पहचान बनना सरल नहीं होता लेकिन अपने अथक प्रयासों से थाटीपुर ग्वालियर मैं रहने वाले समाजसेवी,सामाजिक चिंतक, विचारक, प्रकृति प्रेमी ,उन्होंने शासकीय सेवा को न कर समाजसेवा के लिये अपने आपको समर्पित ऐसे व्यक्ति है जो एक बड़े जनमानस का प्रतिनिधि है, साथ ही वह इतना सामान्य भी है कि आमजनों के लिए सर्वसुलभ हो। संत कबीर के शब्दों में कहें तो ‘सहज सहज सब कोई कहै, सहज न चीन्हैं कोय। जिन सहजै विषया तजै, सहज कहावै सोय।‘ लेकिन इन सभी सहजताओं को सहेजते हुए असाधारण व्यक्तित्व के धनी, सामाजिक न्याय के ध्वजवाहक, समाजवाद के अप्रतिम सेनानी, वंचितों की शिक्षा के पैरोकार, सरल एवं सरस हृदयी व्यक्तित्व, कर्मठ और देश-समाज के के प्रति  समर्पित  जननायक  कहा जा सकता है अतिशियुक्ति कहना नही कहा जा सकता यही युक्ति की खासियत यह थी कि वे समाज की बीमारी समझते थे। वे जानते थे कि पिछड़ा, शोषित, वंचित एवं महिलाओं में शिक्षा का प्रचार-प्रसार किए बगैर विकसित समाज और उन्नत राष्ट्र के निर्माण का सपना कभी पूरा नहीं हो सकता। सदैव दुसरो के  अधिकारों,आत्म सम्मान, मानवीय मूल्यों और संविधान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें और समतामूलक लोकतांत्रिक भारत का निर्माण  करने मैं सदैव प्रयत्नशील रहने चाहिए ओर हम पर जो खुद से  बन सके  करें  उससे विमुख नहीं हुये।  यदि इरादे मजबूत व बुलन्द हो तो शारीरिक अक्षमता भी आपको  आगे बढ़ने से कोई भी नही रोक सकता चाहे  कोई भी कितना भी हतोत्साहित  करे  लेकिन काम करने से  रोक नही  सकती। आर्थिक विपत्तियों का सामना कर कठिनतम परिस्थिति  से जूझते हुए आपने आफर ठुकरा  भेदभाव की नीति के खिलाफ सदैव  लडते रहे।
प्रदेश में दो दशक से अधिक समय से प्रदेश मैं सघनता के साथ कार्यरत है और अपनी पहचान राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर पर बनाई है। जिन्होंने की प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा ज्यादातर ग्वालियर से प्राप्त की है। उनका जन्म एक आर्युवेदिक के ज्ञाता कृषक परिवार में हुआ। पिताजी शासकीय सेवा मैं  कार्य करते हुए भोपाल से सेवा निवर्त हुए । जिनकी छत्रछाया से 2015 से वंचित हो गये यानि परिनिवर्त हुए। इस क्षेत्र मैं उनका कोई गुरू नहीं रहा जिससे सीखने को सीखा ज्यादातर खुद  नवाचार करते हुऐ अनुभवों के आधार पर सीखा किसी के सामने झुके नहीं ओर अपनी बेबाक बातें सरल सीधे सपाट रूप में रखते है। नामुकिन कार्य को भी मुमकिन बना दिया है। बचपन से ही अनुशासित जीवनशैली, प्रतिबद्धता ,समर्पण,ईमानदारी के गुण मिले है काम करने का जज्बा  है। किसी भी कार्य करने से कभी भी मुँह नहीं छिपाया है और  मेहनत करने से कभी पीछे नहीं रहे । उनसे किसी भी काम को पहली बार  कहने पर किसी को मना नहीं किया है। अपने कामो मैं उन्होंने न तो अवांछित हस्तक्षेप कभी बर्दाश्त किए और न अपमानों से कभी विचलित हुए। उनका कहना था – “हक चाहिए तो लड़ना सीखो/ कदम-कदम पर अड़ना सीखो/ जीना है तो मरना सीखो”। आज भी जब अवसर मिलता है उसका उपयोग से नही चूकते , उनकी विशेषता है जब भी  इन्हें अन्याय के खिलाफ जहाँ कहीं भी बोलने का मौका मिलता वे कभी नहीं चूकते।
आज न जाने कितने महिला, बच्चे उनके परिवार ओर वृद्जनों को प्रेरित किया बल्कि हर स्तर पर हर प्रकार का सहयोग जिसने जो मांगा किया और उनको  मार्गदर्शित हर क्षेत्र  मे  किया है। उनके साथ हमारा रक्त संबंध  नहीं रहा किंतु सामाजिक संबंध बन गए। अपने काम का आरंभ एक शहरी स्लम एरिया मैं बच्चों के लिये शिक्षा केन्द्र से प्रारंभ कर इससे प्राप्त अनुभवों पर प्रदेश मैं पंचायती राज लागू होने के बाद सघनता के साथ ग्रामीण विकास ,प्राकृतिक संसाधनों के विकास पर केंद्रित कर दिया। आज श्रीप्रकाश सिंह निमराजे के द्वारा किये गये कार्य नींव के पत्थर साबित हो रहे है जिनका वर्णित करना सूरज के आगे दिया दिखाना है लेकिन उसी से प्रकाश लेकर आगे बढ़ता है। जिसको लोगों ने सराहा है यहीं नहीं अपने अध्ययन का विषय भी बनाया है। कई प्रतिभाओं को उभारा है। देश मे ही नहीं विदेश में अपना लोहा मनवाया है। नेपाल की राजधानी  काठमांडू की जमी पर जाकर ग्लोबल कान्क्लेव आयोजित की। 
कोविड  कॉल  में इंसानियत को बचाने के  लिये खुद बड़े घरो के न होते हुए भी अपने समर्पण हिम्मत को बनाये रखते हुए लोग घरो की चार दीवारी  से  बाहर नहीं निकल रहे लोकडॉउन लगे होने पर पर खुद पर पयार्प्त  फण्ड नहीँ  होते हुए भी आपस मैं सहयोग कर एकत्रित कर  लोगों को राहत एवं जरूरी सामग्री  का वितरण  गोपाल किरन समाज सेवी संस्था  के माध्यम से आपने 125 दिन तक लोगों को भोजन के पैकेट, दवाई या, उनके गंतव्य तक पहुचाने मैं अपनी जान को जोखिम मैं डालकर  मानवता का परिचय दिया। आपको विभिन्न संस्थाओं ने समय -समय सम्मानित किया है।जिला प्रशासन ने गणतंत्र दिवस पर श्रीप्रकाश सिंह निमराजे,अध्यक्ष, गोपाल किरन समाजसेवी संस्था, राहत कार्य एवं शिक्षा,सामाजिक विकास एवं मानव कल्याण, के क्षेत्र में प्रशंशा पत्र देकर सम्मानित किया है।
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