पंचमहलकेसरी समाचार एक रूतबेदार पद होता है। एक एसडीएम के पास सरकारी नौकरी के साथ काफी पावर भी होती है। उनके काम का विस्तार भी काफी होता है।राज्य प्रशासनिक सेवा में रैंक वाइज एसडीएम सबसे टॉप की रैंक होती है। एसडीएम प्रमोट होकर डीएम और स्टेट गवर्नमेंट में सेक्रेटरी पदों तक पहुंचते हैं। एक एसडीएम के लिए 24 घंटे काम ही काम होता है। आइए जानते हैं कैसे बनते हैं एसडीएम,कितनी होती है पावर, कितनी मिलती है सैलरी औऱ क्या-क्या करने होते हैं काम
बनते हैं कैसे एसडीएम
एसडीएम बनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करनी पड़ती है। टॉप रैंक वालों को एसडीएम का पद मिलता है। पीसीएस (PCS) परीक्षा में टॉप रैंक लाने वाले एसडीएम बनते हैं। राज्य स्तर पर इस एग्जाम का आयोजन होता है।
एसडीएम की पावर
एसडीएम मतलब सब डिविजनल मजिस्ट्रेट.. फुल फॉर्म में मजिस्ट्रेट शब्द सुनकर कई लोगों को ऐसा भी लगता है कि एसडीएम का काम न्यायालय से जुड़ा होता है लेकिन ऐसा नहीं है। एक एसडीएम के पास डिवीजन में वही, अधिकार और पावर है, जितना जिले में डीएम का होता है।
एसडीएम की सुविधाएं और सैलरी
एक एसडीएम को सरकारी आवास, घरेलू नौकर, वाहन, सुरक्षाकर्मी टेलिफोन कनेक्शन, फ्री बिजली, आधिकारिक यात्राओं के दौरान रहने की सुविधा, पेंशन, हायर स्टडीज के लिए अवकाश जैसी सुविधाएं मिलती हैं। एक एसडीएम को पे बैंड 9300-34800 में ग्रेड पे 5400 के हिसाब से सैलरी मिलती है। शुरुआत में 56,100 रुपए तक प्रतिमाह सैलरी होती है। भत्ता और सुविदाएं मिलाकर यह ज्यादा होती हैं।
एसडीएम के क्या-क्या काम होते हैं
- प्रशासनिक और न्यायिक काम
- राजस्व काम में जमीन का लेखा-जोखा, राजस्व मामलों का संचालन
- क्षेत्रीय विवादों को निपटना और आपदा प्रबंधन का जिम्मा
- जमीन का सीमांकन और अतिक्रमण जैसे मुद्दे
- सार्वजनिक भूमि का संरक्षण और भू-पंजीकरण
- लोकसभा और विधानसभा का चुनाव करवाना
- मैरिज रजिस्ट्रेशन, जाति, जन्म और निवास प्रमाण पत्र बनाना
- CPC 1973 और नाबालिग कृत्यों के तहत न्यायिक काम की भी जिम्मेदारी
- अलग-अलग तरह से रजिस्ट्रेशन, कई तरह के लाइसेंस जारी करना और रिन्यूअल करना