ढाई साल बाद इमरती देवी को पता चला हार का कारण अब रहेगी सावधान और क्या उसकी राष्ट्रीय संगठन से भी शिकायत दर्ज कराएगी यह कहा नहीं जा सकता।

ग्वालियर।सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में वे पंडोखर सरकार के दरबार में प्रश्न पूछते नजर आ रही हैं। इस दौरान उन्होंने अपनी हार का कारण पूछ लिया। पंडोखर सरकार लोगों के मन में रखे सवालों को पहले ही पर्ची पर लिखने के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां तक कि वे लोगों का नाम-पता भी अपनी शक्तियों से बताने के लिए चर्चाओं में रहते हैं।द

रअसल, मध्यप्रदेश की पॉलीटिक्स में अक्सर सुर्खियों में रहने वाली पूर्व मंत्री इमरती देवी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इमरती देवी ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई थीं। अगले साल फिर चुनाव आने वाले हैं, इसे लेकर नेताओं की आस्था मठ-मंदिरों में बढ़ गई है। हाल ही में इमरती देवी पंडोखर सरकार के दरबार में पहुंची। यह दरबार ग्वालियर में लगा था। पंडोखर सरकार सरकार के नाम से मशहूर गुरुशरण महाराज पहले ही पर्ची के पर सामने वाले का प्रश्न लिखने के लिए प्रसिद्ध हैं। इमरती देवी के साथ भी ऐसा ही हुआ। जब इमरती देवी पंडोखर सरकार के दरबार में पहुंची तो उन्होंने कहा कि पूछो अपने प्रश्न। तो उन्होंने बताया कि एक तो मैं पिछले चुनाव में कैसे हार गई थी। इसके अलावा उन्होंने अपनी नातीन के बारे में भी प्रश्न पूछा। तत्काल ही पंडोखर सरकार ने पर्ची दिखा दी, जिसमें पहले से वही दो प्रश्न लिखा हुआ था। गौरतलब है कि ग्वालियर में चल रही कथावाचिका जया किशोरी के विशेष आमंत्रण पर पंडोखर सरकार ने यह दरबार लगया था। 

इमरती देवी सुमन को चुनाव हारने का ऐसे मिला जवाब

इमरती देवी के चुनाव हारने के प्रश्न पर पंडोखर सरकार ने जवाब में कहा कि वर्तमान में आप जिस पार्टी में हैं, उसी पार्टी के एक नेता ने आपको चुनाव में हरवाया था। पंडोखर सरकार ने कहा कि मैं उस नेता का नाम नहीं बताऊंगा। मैं नाम बताने में समर्थ हूं। जब में आपके क्षेत्र डबरा आउंगा तब उसका नाम बताउंगा। पंडोखर सरकार और इमरती देवी के इस संवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पंडोखर सरकार ने यह भी बताया कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी आपकी है। दोनों की जनता आप पर भरोसा करती हैं। इसलिए हारने के बाद डबरा में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष आपने बनवा दिए। जबकि पंचायत चुनाव में भी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद पर अपने समर्थकों को जितवा दिया। दोनों ही जगह भाजपा की परिषद बन गई।

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