इसके लिए उन्होंने विशेष रूप से तैयारी की व बहुत संघर्ष करके यह मुकाम हासिल किया है,उनके लिए यहां तक आना कोई आसान काम नहीं था उन्होंने दिन- रात मेहनत कि वह,अपने कार्य में सफल होकर दूसरों के लिए प्रेरणा बनी है।किन्नरों को आगे बढ़ने के लिए अपने हक की लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है।एक ऐसा समुदाय है जिसका जिक्र ग्रंथों में भी मिलता है।एक ऐसा समुदाय है जो हमारी खुशी में शामिल होकर उसे और बढ़ाकर हमारी खुशियों में चार- चांद लगा देते हैं।यह हमारे बच्चों के लिए और परिवार के लिए शुभकामनाएं देते है।ऐसी मान्यताएं हैं कि इनकी दुआओं में बहुत असर होता है इसीलिए कोई भी इनकी बद्दुआ नहीं लेता पहले किन्नर समाज के लोग सिर्फ शादी ,बच्चे के जन्म पर नाच गाना कर बच्चे को दुआएं देते थे ।परंतु आजकल ऐसा नहीं है आजकल जब भी कोई घर में बड़ी खुशी आती है तो लोग आदर मान -सम्मान के साथ इनको खुद बुलाते हैं,और इनको अच्छी राशि भी देते हैं। बदले में यह समुदाय हमें ढेर सारी शुभकामनाएं देकर जाते हैं ।प्राचीन काल से इनका ऐसे ही काम चल रहा है । लोगों की खुशी में जाकर आशीर्वाद और शुभकामनाएं देते रहे हैं।परंतु अब ऐसा नहीं है अब सरकारी नौकरी में भी इनकी विशेष भूमिका है। किन्नरों के लिए सरकार ने अलग से कई राज्यों में अलग से आरक्षण दिया है। आज परिस्थितियां पहले के मुकाबले बदल गई है आज इनको समाज का एक सामान्य सदस्य माना जाता है।स्कूल-कॉलेज , पार्क ,मॉल आदि यह समुदाय कहीं भी जा सकता है ऐसा नहीं है इनको कहीं भी जाने से रोका जाता है।किन्नर समाज के लोग जीवन में आगे बढ़ रहे हैं ।इनको एक सामान्य पुरुष और सामान्य महिलाओं से कई गुना मेहनत और बहुत कठिन परिस्थितियों से गुजरना होता है।भारत की पहली किन्नर डॉक्टर प्रिया जी है वह केरल की रहने वाली है। उसने सबके सामने एक मिसाल पेश की है कि कैसी भी परिस्थितियों से लड़ कर आप जीवन में आगे बढ़ सकते हैं । वह लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि वह एक अच्छे पद पर कार्यरत हैं,राजस्थान के जालौर की रहने वाली 24 वर्षीय गंगा कुमारी राज्य की पहली ऐसी किन्नर है जो पुलिस विभाग में नियुक्त है ।
कई ऐसे परिवार भी हैं जिन्होंने किन्नर पैदा होने पर उसे त्याग दिया । परंतु उनको ऐसा नहीं करना चाहिए यह भी हमारे समाज का एक हिस्सा है ।भगवान ने इनको भी बनाकर धरती पर भेजा है ।जैसा हक प्रत्येक वस्तु पर हमारा है वैसा ही हक इनका भी है । भगवान की दी हुई प्रत्येक वस्तु पर हमारे साथ -साथ प्रकृति में जितने भी जीव-जंतु पेड़-पौधे सबका एक सम्मान अधिकार है।
समाज को एकजुट होकर इन के लिए कार्य करना होगा। इनके मान सम्मान वह इन्हें जीवन में आगे बढ़ाने के लिए हमेशा इनकी मदद के लिए तत्पर रहना होगा।
ऐसा नहीं है कि ये समुदाय सिर्फ लेना जानता है ।
ये समुदाय आजकल बेटी के जन्म पर दान- दक्षिणा और बेटियों के विवाह पर अच्छी दान दक्षिणा देता है।कई जगह पर गरीब बाप की बेटियों का इन्होंने विवाह भी करवाया हैक्योंकि कई लोगों के बीच में यह धारणा बनी हुई है कि ये समुदाय सिर्फ लेते हैं परंतु हकीकत में ऐसा नहीं है। लोगों की मदद के लिए यह समुदाय हमेशा तैयार रहता हैएक ऐसा समुदाय को जिसमें पुरुष और नारी भी निवास करते हैं इन आदर के योग्य को मेरा हृदय से नमन है।
-------------------------
कष्टों से भरी जिंदगी क्यों? (भाग 1)
बच्चा जन्म लेता है घर में खुशियों का माहौल होता है। मिठाइयां बांटी जाती है। ढोल बजाए जाते परंतु जब एक बच्चा किन्नर के रूप में जन्म लेता है तो सबके चेहरे पर दुख छा जाता है ।इसमें बच्चे का तो कोई कसूर नहीं है। भगवान ने जैसा उसे भेजा दुनिया में आ गया ।समस्या यहां पर खत्म नहीं होती यह तो शुरुआत है उस नन्ही सी जान की ।कई दफा तो अभिभावक पैदा होते किन्नरों को दे देते और कोई परिवार रख लेता है तो बचपन में बच्चों का आस पड़ोस वालों से परेशान करते हैं ।
बेचारा जैसे- तैसे करके स्कूल में प्रवेश भी ले लेता है ।*परंतु वहां पर भी उसी उसे बहुत कुछ सहन करना* पड़ता है* ।आम बच्चों जैसा उसका जीवन नहीं होता उसे बहुत कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। *जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है*। कई तो इसे सहन करके आगे बढ़ जाते परंतु कई बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर बैठ जाते हैं।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है परेशानियां उसका पीछा करती रहती है। स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि अब उसे पढ़ने के लिए बाहर जाना पड़ता है।
*कई दफा उसे कोई अपना दोस्त बना लेता है तो कई बार कोई नहीं बनाता*। जैसे उसका जीवन की पढ़ाई खत्म होती है सामान्य बच्चों की तरह उसे नौकरी नहीं मिलती है। क्योंकि बहुत सारे उसे नौकरी देने से साफ- साफ मना कर देते हैं । *उसे समाज से प्यार मोहब्बत नहीं मिलती जिसका वह हकदार हैं*।इसलिए कमजोर तो थक कर बैठ जाता परंतु जो संघर्ष करता है वह जीवन में सफल भी हो जाता है।
पढ़ लिखकर भी समाज के व्यवहार से तंग आकर चला जाता है । उसे दुख दुत्कार के सिवा दुनिया से अपनापन नहीं मिल पाता जिसका वह हकदार है। उनका मन नहीं होता परिवार भाई ,बहन सब उसे भी सब चाहिए। परंतु हमारे समाज में ऐसी मानसिकता वाले लोग रहते हैं जो इनको स्वीकार ही नहीं कर पाते जो बिल्कुल ग़लत है।
*किन्नर सिर्फ एक रात के लिए वह अपनी शादी करते हैं*।वे अपने देवता से एक रात के लिए विवाह करते हैं। इनके देवता का नाम है इरावन जो कि अर्जुन और नागा कन्या उलूपी की संतान है ।शादी के अगले दिन ही किन्नर अपना मंगलसूत्र उतारे देते हैं और विधवा हो जाते हैं । विधवा की तरह ही विलाप करते हैं उनका जीवन ऐसे ही चलता रहता है और *इनके जीवन में बहुत संघर्ष होता है*।
सीमा रंगा इन्द्रा हरियाणा