ग्वालियर।परिस्थितिजन्य साक्ष्य को सिद्ध करने में डिजिटल टूल्स व सायबर विधि अत्यन्त सहायक सिद्ध हो सकते हैं - न्यायमूर्ति श्री शील नागू।


फॉरेंसिक विज्ञान को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल कर, करनी होगी फॉरेंसिक साईंस विश्वविद्यालयों की स्थापना - न्यायमूर्ति श्री आनंद पाठक
साइबर विषय पर वेबिनार आयोजित

ग्वालियर। पंचमहलकेसरी9425734503

व्यक्ति झूठ बोल सकता है, किंतु परिस्थितियाँ कभी झूठ नहीं बोलती, बशर्ते उन्हें सही से साबित किया जाए। भारतीय विधि में प्रत्यक्ष साक्ष्य व्यक्ति पर निर्भर होता है जबकि परिस्थितिजन्य साक्ष्य अप्रत्यक्ष श्रेणी की साक्ष्य होती है। यदि साक्षी झूठ बोलता है तो परिस्थितिजन्य साक्ष्य को साबित करने में डिजिटल टूल्स व साइबर विधि सहायक सिद्ध हो सकते हैं। उक्त विचार जिला न्यायालय गुना द्वारा न्यायाधीशों, अभियोजन एवं पुलिस अधिकारियों और अधिवक्ताओं के लिये साइबर विधि पर आयोजित किये गये वेबिनार में उच्च न्यायालय खण्डपीठ, ग्वालियर के प्रशासनिक न्यायाधीश श्री न्यायमूर्ति शील नागू ने व्यक्त किये।कार्यक्रम में उच्च न्यायालय खण्डपीठ, ग्वालियर के न्यायमूर्ति एवं जिला न्यायालय गुना के पोर्टफोलियो जज श्री न्यायमूर्ति आनंद पाठक ने कहा कि विधि के शासन को स्थापित करने के लिए आज की स्थिति में यह आवश्यक है कि प्रारंभ से ही फॉरेंसिक विश्वविद्यालयों की स्थापना की जानी चाहिए ताकि प्रारंभिक स्तर से ही फॉरेंसिक एवं डिजिटल टूल्स को समझने के लिए शैक्षणिक वातावरण तैयार हो सके। श्री पाठक ने कहा कि जिस प्रकार विश्वविद्यालय व महाविद्यालय में लाईब्रेरी का स्थान है उसी प्रकार अन्वेषण व न्याय प्रशासन में आज के समय डिजिटल वर्ल्ड, फॉरेंसिक विज्ञान व साइबर विशेषज्ञता का स्थान है। यही वे साधन हैं जो हमें सत्य तक पहुँचने का मार्ग दिखाते हैं। न्याय प्रशासन में पुलिस अधिकारी, अधिवक्ता व न्यायाधीश एक ही मंच पर आकर सत्य तक पहुँचने का कार्य करते हैं। डिजिटल टूल्स न केवल अपराधों को रोकने में सहायक है बल्कि अपराधी का पता लगाने व अपराध को प्रमाणित करने में भी सहायक होते हैं। इसलिए साइबर टूल्स के ज्ञान व उपयोग के प्रति सभी स्टेक होल्डर्स को जागरूक होने की आवश्यकता है।कार्यक्रम में मुख्य वक्ता एवं प्रशिक्षक के रूप में देश के प्रसिद्ध साईबर विशेषज्ञ श्री रक्षित टंडन द्वारा साईबर क्राईम्स, इससे संबंधित चुनौतियां, डिजटल फुटप्रिंट्स, अन्वेषण में ओपन सोर्स की महत्ता, मेटाडेटा एवं फॉरेंसिक प्रक्रिया, डेटा भंग एवं इसका प्रभाव आदि विषयों पर सहज एवं सरल भाषा में प्रशिक्षण दिया गया।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव, विधि विभाग श्री सतेन्द्र कुमार सिंह एवं अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, साइबर सेल श्री ए.साई. मनोहर सहित न्यायाधीशगण, अधिवक्तागण, अभियोजन ओर पुलिस अधिकारीगण एवं अन्य मान्यगण श्रोता वर्चुअली उपस्थित रहे।कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री राजेश कुमार कोष्ठा द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का संचालन सिविल जज सुश्री प्राची पाण्डेय और आभार प्रदर्शन कार्यक्रम के समन्वयक व अपर जिला जज श्री हर्ष सिंह रावत ने माना।

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