छिन गया मुँह से निवाला आते ही चुनाव का मौसम
 ** छिन गया मुँह से निवाला **
आते ही चुनाव का मौसम,
रहबरों ने बदला पाला,
उड़ा रहे नफ़रतों के गुब्बारें,
सज रहा फिर ज़हर का प्याला।
विकास कोसों दूर रहा,
आम  का निकला दिवाला,
अच्छे दिनों की आस में
छिन गया मुँह से निवाला।
दर दर भटक रहा नौजवान,
झूठ फ़रेब का बोलबाला,
हक़ माँगना गुनाह हुआ,
जड़ दिया मुँह पर ताला।
मज़हब के ढोंगी पहरुओं ने,
धरम के नाम पर धंधा खोला,
स्वर्ग नरक का देकर झाँसा,
भर रहे खुद माया से झोला।
एस. आर. शेंडे,सौंसर, छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश whatsapp = 8103681228
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