डबरा।महिलाएं परिवार व समाज को सकारात्मक विचार, अच्छे संस्कार और राष्ट्र भक्त नागरिक -डा अंजलि भार्गव
 डबरा।राष्ट्रीय सेविका समिति के मार्गदर्शन में वैचारिक गतिविधियों के लिए कार्य करने वाली गार्गी वैचारिक मंच के तत्वाधान में आज आजादी के अमृत महोत्सव* के अंतर्गत सामाजिक विषयों पर एक व्याख्यानमाला का आयोजन स्थानीय संत कंवर राम स्कूल डबरा में संपन्न हुआ कार्यक्रम में वक्ताओं के रूप में राष्ट्र सेविका समिति की जिला कार्यवाहीका डॉ श्रीमती अंजलि भार्गव ने स्त्री राष्ट्र की आधार शक्ति विषय पर अपना व्याख्यान दिया ,श्रीमती ममता राठौर ने स्वतंत्रता आंदोलन में ऐतिहासिक वीरांगनाओं का योगदान विषय पर, श्रीमती कुक्की अग्रवाल मैं हिंदू नव संवत्सर विषय पर अपने अपने व्याख्यान दिए ।डॉ अंजलि भार्गव ने कार्यक्रम को प्रारंभ करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि महिलाएं परिवार और समाज को सकारात्मक विचार, अच्छे संस्कार और राष्ट्र भक्त नागरिक दे सकती हैं। स्त्री सत्व, रजस और तमस तीनों गुणों से युक्त होती है, वह स्वयं के स्वास्थ्य और हितों को भूलकर परिवार और समाज पर मातृत्व भाव को अर्पित करती है। आज भी नारी के अंदर इस सुप्त हो चुकी अद्भुत शक्ति को प्रेरित करने से समाज की हर समस्या दूर हो सकती है क्योंकि नारी वर्तमान समस्याओं के समाधान में सक्षम है। वह असाध्य कार्य को भी साध्य कर सकती है और समृद्ध राष्ट्र  की आधारशिला बन सकती है। राष्ट्र सेविका समिति के 80 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष‘स्त्री राष्ट्र की आधार शक्ति है’ विषय पर उद्बोधन देते हुए कही। सेविका समिति की जिला कार्यवाहका डॉ अंजलि भार्गव ने कहा कि विशाल मातृत्व भाव के कारण ही स्त्री को महिला कहा जाता है। ‘मातृत्व’ शब्द का अर्थ सिर्फ बच्चे पर प्यार लुटाना, उसका लालन-पालन नहीं बल्कि सम्पूर्ण समाज की समस्याओं के प्रति संवेदनापूर्ण भाव ही मातृत्व भाव है, जो कई पुरुषों के अंदर भी होता है।उन्होंने एक संस्कारित बच्चे का स्मरण एवं ईश्वरचंद विद्यासागर और देवी अहिल्या बाई होलकर जैसे ऐतिहासिक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश में भ्रष्टाचार, आतंकवाद जैसी समस्याओं का समाधान कानून से नहीं, स्त्री अच्छे संस्कारों से कर सकती है। स्त्री छोटे-छोटे काम करके भी राष्ट्र उत्थान का आधार बन सकती है। वह अपने बच्चों में अच्छे गुणों का निर्माण कर सकती है। मां का कर्तव्य है कि वह अपने संस्कारों से  राष्ट्र भक्ति जागरुक नागरिक तैयार करे। उन्होंने कहा कि हमारे  समाज ने लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के रूप में संपत्ति, बुद्धि और बाहु शक्ति का स्वामी एवं समाज प्रबंधन और राष्ट्र विकास का प्रमुख स्त्री शक्ति को बनाया है। समिति द्वारा महिला शक्ति को सबल बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि समिति लड़कियों के लिए देश भर में 22 छात्रावास संचालित कर रही है, जिसमें उनकी समस्याओं का समाधान किया जाता है और उन्हें शिक्षित कर स्वावलम्बी बनाकर उनके क्षेत्रों में राष्ट्र और समाज के उत्थान की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। उन्होंने बताया कि संगठन महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वावलम्बन के क्षेत्र में काम कर रहा है वक्ताओं में *श्री ममता राठौर* ने कहा कि भारत में 1857 की क्रांति की अनुगूंज में नेट वीरांगनाओं का नाम प्रमुखता से लिया जाता है-लखनऊ में बेग़म हज़रत महल और झांसी में क्रांति का नेतृत्व करने वाली रानी लक्ष्मीबाई। ऐसा नहीं है कि 1857 से पूर्व भारतीय वीरांगनाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में अपना जौहर नहीं दिखाया। और नारी शक्ति का परिचय देते हुए अनेक योद्धाओं के दांत खट्टे कर दिए।अंतिम वक्ता के रूप में *श्रीमती कुक्की अग्रवाल* ने कहा कि हर साल, चैत्र का महीना नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। हिंदू नव वर्ष का पहला दिन, जिसे नव संवत्सर के रूप में जाना जाता है, चैत्र चंद्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। हिंदू नव वर्ष, जिसे विक्रम संवत  2079 के नाम से भी जाना जाता है, अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। इस दिन गुड़ी पड़वा  भी मनाई जाती है। गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक उत्सव है, जो नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती अर्चना सगर ने किया , प्रारंभ में राष्ट्र सेविका समिति की प्रार्थना की गई जिसमें लगभग एक सैकड़ा मातृशक्ति मौजूद रही आभार प्रदर्शन श्रीमती अलका अग्रवाल  ने किया।
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