ग्वालियर।विवेचना का स्तर उत्कृष्ट करने के लिये ग्वालियर एवं चम्बल जोन पुलिस द्वारा आयोजित की गई दो दिवसीय कार्यशाला का हुई समापन कार्यशाला में भाग लेने वाले पुलिस कर्मचारीगण नहीं देखे यूनिफॉर्म में देखते रहे एडीजीपी।
ग्वालियर।ट्रिपल आईटीएम कॉलेज ग्वालियर के ऑडिटोरियम में दिनांक 27.08.2022 को ग्वालियर एवं चम्बल जोन पुलिस द्वारा उप निरीक्षक से ऊपर स्तर के पुलिस अधिकारियों के लिए विभिन्न प्रकार के विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ मुख्य अथिति माननीय प्रशासनिक न्यायमूर्ति श्री रोहित आर्या, म.प्र.उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर द्वारा किया गया था। कार्यशाला के अंतिम दिन प्रतिभागियों को अपने अनुभव साझा करने के लिये उपस्थित हुए *माननीय न्यायमूर्ति श्री जी.एस.अहलूवालिया,म.प्र. उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर* का सर्वप्रथम *एडीजीपी ग्वालियर जोन श्री डी.श्रीनिवास वर्मा,भापुसे* द्वारा बुके देकर स्वागत किया गया। तद्उपरान्त कार्यशाला में उपस्थित प्रतिभागियों को संबोधित  करते हुए माननीय न्यायमूर्ति ने कहा कि पुलिस समाज की गार्जियन की तरह है, जिससे समाज को काफी अपेक्षाएं होती हैं और आमजन पुलिस के पास अपने दुख के निवारण की आशा लेकर आते हैं, यदि पुलिस अपने कर्तव्यों को अपने व्यक्तिगत जीवन में उतार ले तो वह फरियाद लेकर आये पीड़ितों की परेशानियों को आसानी से हल किया  जा सकता है। उन्होने कहा कि हम दूसरों के साथ वह व्यवहार न करें जैसा कि हम अपने लिये पसंद नही करते हैं। अपने उद्बोधन को आगे बढ़ाते हुए उन्होने कहा कि न्यायालय से जारी होने वाले समन को समयसीमा के भीतर पुलिस को तामील कराना चाहिए, समन की समय पर तामीली न होने की बजह से फरियादी में निराशा आती है एवं समाज में असंतोष की भावना उत्पन्न होती है, साथ ही पीड़ित को न्याय मिलने में बिलंव होता है, इसलिए पुलिस का कार्य केवल चार्जशीट दायर करने तक सीमित नही होना चाहिए बल्कि समाज को यह विश्वास भी दिलाना चाहिए कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचेगा और समाज का प्रत्येक व्यक्ति सुरक्षित होगा। पुलिस का मुख्य कर्तव्य पीड़ित को न्याय दिलवाना है और पीड़ित पर समय पर न्याय तभी दिलाया जा सकता है जब विवेचक द्वारा समय पर संपूर्ण प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई हों। दो दिवसीय कार्यशाल के अंतिम दिन प्रतिभागियों को अपना व्याख्यान देने आये *सेवानिवृत माननीय न्यायमूर्ति श्री एम.के.मुदगल* का स्वागत 5वी वाहिनी,विसबल सेनानी श्री विनीत जैन द्वारा किया गया। उसके बाद उन्होने अपने उद्बोधन में कहा कि थाने में कार्य करते समय प्रत्येक पुलिस अधिकारी का यह नैतिक कर्तव्य है कि वह थाने पर  आने वाली प्रत्येक सूचना अथवा शिकायत को गंभीरता से सुने तथा यदि किसी सूचना या शिकायत में संज्ञेय अपराध के तथ्य दिखाई देते हों तो अविलंब एफआईआर करनी चाहिए, क्योंकि कभी-कभी आपकी एक छोटी सी चूक भी बड़े अपराध को जन्म दे जाती है। किसी भी प्रकरण में आरोपी के बरी होने के पीछे प्रमुख कारण विवेचना का कमजोर होना होता है। इसलिए प्रत्येक पुलिस अधिकारी को विवेचना के दौरान केस डायरी लेखन करते समय मिनट टू मिनट की जानकारी केस डायरी में अंकित करनी चाहिए। इसके साथ ही विवेचना में डिजीटल एवं तकनीकी साक्ष्यों का समावेश भी करना चाहिए, इस प्रकार आप अपनी विवेचना को और अधिक सुदृढ़ बना पायेंगे। सेवानिवृत माननीय न्यायमूर्ति द्वारा अपने व्याख्यान के अंत में उपस्थित सभी प्रतिभागियों से कहा कि किसी भी प्रकरण में एमएलसी कराते समय रिपोर्ट प्राप्त करने से पूर्व उक्त रिपोर्ट पर एमएलसी करने वाले डॉक्टर का नाम अनिवार्य रूप से अंकित कराये एवं चालान में इसका इन्द्राज मोबाइल नम्बर के साथ करें।
 उपस्थित प्रतिभागियों को *एसपी अजाक ग्वालियर रेंज श्री पंकज पाण्डेय* द्वारा एन्ड्रोयड मोबाइल टूल्स के जरिए केस डायरी लेखन करने के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रदाय की साथ ही न्यायालय पेशी के दौरान किस प्रकार अपने कथन को तैयार किया जाए इसके संबंध में भी जानकारी प्रदाय की। उन्होने अपने व्याख्यान में कहा कि प्रत्येक विवेचक को अपराध की विवेचना के दौरान प्रपत्रों को केस डायरी में सही स्थान पर लगाकर उनको सूचीबद्व करना चाहिए। जिससे पेशी पर आने वाले किसी भी पुलिस अधिकारी व कर्मचारी को प्रपत्र को खोजने में परेशानियों का सामना न करना पड़े। एसपी अजाक द्वारा कार्यशाला में बताया गया कि एफआईआर लेखन करते समय फरियादी द्वारा मौके पर प्रस्तुत किये गये साक्ष्यों को उल्लेख भी एफआईआर में किया जाना चाहिए एवं उन्ही तथ्यों के आधार पर विवेचक के अपनी अग्रिम कार्ययोजना तैयार करनी चाहिए। यदि किसी प्रकरण में एक से अधिक नक्श मौका की आवश्यकता हो तो उसमें आवश्यक रूप से नक्शा मौका बनाकर संलग्न करना चाहिए। आपके द्वारा बनाया गया नक्शा मौका न्यायालय में घटना का चित्रण करने के लिये महत्वपूर्ण साबित होगा। एसपी अजाक द्वारा प्रतिभागियों को केस डायरी का प्रारूप प्रजेन्टेशन के माध्यम से दिखाकर विवेचना में होने वाली कमियों के बारे में सभी को जानकारी दी, साथ ही उनको जाफौ की धारा 91, धारा 41, सीडीआर, माल जप्ती एवं साक्ष्य संकलन के महत्व के बारे में समझाया। उन्होने अपने व्याख्यान के अंत में कहा कि किसी भी नावलिग बालिका की दस्तयाबी के उपरान्त उसे माता-पिता के सुपुर्द करने से पूर्व बाल कल्याण समिति के समक्ष आवश्यक रूप से प्रस्तुत किया जाए एवं किसी भी महिला अपचारी को सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच किसी महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही गिरफ्तार किया जाए। 
कार्यशाला मेें जीआर मेडीकल कॉलेज के *डॉ0 जुगरान* द्वारा अपने व्याख्यान में मेडीकल एवीडेंस के महत्व पर प्रकाश डाला, साथ ही उन्होने कहा कि मानव शरीर से प्राप्त होने वाले सभी साक्ष्य फौरेंसिक के अन्तर्गत आते हैं और उन्होने सभी पुलिस अधिकारियों को एमएलसी की विस्तृत जानकारी दी। तद्उपरान्त डॉ0 जुगरान द्वारा प्रजेन्टेशन के माध्यम से मानव शरीर की चोटों व कुछ केस स्टडीज के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। व्याख्यान के अंत में उन्होने कहा कि किसी भी सनसनीखेज प्रकरणों में डॉक्टर को सीन ऑफ क्राइम पर ले जाकर अच्छे से परीक्षण कराने पर आप घटना का पता आसानी से लगा सकते हैं।
कार्यशाला मेें *एसपी राज्य सायबर पुलिस ग्वालियर श्री सुधीर अग्रवाल* द्वारा सोशल मीडिया, डिजीटल फ्रॉड, आईटी एक्ट के प्रावधानों की जानकारी दी एवं आईटी एक्ट के प्रकरणों में डिजीटल साक्ष्यों की महत्ता पर प्रकाश डाला। एसपी सायबर द्वारा प्रजेन्टेशन के माध्यम से उपस्थित प्रतिभगियों को उपयोगी टूल्स के बारे में भी बताया गया। साथ ही उन्होने बताया कि किसी भी प्रकार की बैकिंग फ्रॉड संबंधी शिकायत सायबर हेल्प लाईन नम्बर 1930 पर करें।कार्यशाला के अंत में *पुलिस अधीक्षक ग्वालियर श्री अमित सांघी,भापुसे* द्वारा उपस्थित सभी प्रतिभागियों से आयोजित की गई कार्यशाल संबंधी प्रश्नोत्तर किये तथा कार्यशाला से प्राप्त प्रतिभागियों के अनुभवों को जाना। जिसमें जिला भिण्ड से आये उप निरीक्षक ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशाला से काफी कुछ सीखने को मिलता है, इनका आयोजन भविष्य में भी किया जाना चाहिए। जिला मुरैना एवं श्योपुर के प्रतिभागियों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा गया कि इस सेमीनार से हम सभी को काफी कुछ सीखने को मिला है जिसका उपयोग हम अपने विवेचना के स्तर को सुधारने में करेंगे। जिला गुना व शिवपुरी की महिला प्रतिभागियों ने बताया कि इस सेमीनार से हमकों काफी जानकारियां प्राप्त हुई जिसका लाभ हम अपने कनिष्ठ पुलिस कर्मियों तक भी पहुंचाएगे। जिला ग्वालियर व अशोकनगर के  प्रतिभागियों ने अपने-अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा विवेचना में सुधार हेतु पृथक से बिन्दुवार एसओपी तैयार की जानी चाहिए जिसका अनुशरण करते हुए हम अनी विवेचना को उन्नत  कोटि का बना सकें। इसके साथ ही इस कार्यशाल से हमें यह भी ज्ञात हुआ कि हम किस प्रकार अपनी ड्यूटी व परिवार का आपसी सामंजस्य बैठाकर अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा के साथ निर्वाहन कर सकते हैं। कार्यशाला के समापन से पूर्व एडीजीपी ग्वालियर जोन द्वारा कार्यशाला में सम्मलित हुए समस्त प्रतिभागियों एवं पुलिस अधिकारियों को प्रमाण-पत्र प्रदाय किये गये।
सेमीनार में सेनानी 5वी वाहिनी मुरैना श्री विनीत कुमार जैन, एसपी एजेके श्री पंकज पाण्डेय, एसपी राज्य सायवर श्री सुधीर अग्रवाल, एएसपी शहर (मध्य/यातायात) श्री अभिनव चौकसे,भापुसे, एएसपी शहर (दक्षिण) श्रीमती मृगाखी डेका,भापुसे, एएसपी शहर(पश्चिम) श्री गजेन्द्र सिंह वर्धमान, एएसपी ग्रामीण श्री जयराज कुबेर, सीएसपी मुरार श्री ऋषिकेश मीणा, सीएसपी महाराजपुरा श्री रवि भदौरिया, डीएसपी यातायात श्री नरेशबाबू अन्नोटिया, श्री विक्रम सिंह कनपुरिया, रक्षित निरीक्षक पुलिस लाईन ग्वालियर श्री रंजीत सिंह के साथ पुलिस के अधिकारीगण उपस्थित रहे। उक्त कार्यक्रम में मंच संचालन एसडीओपी घाटीगांव सुश्री हिना खान द्वारा किया गया।
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