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शनिश्चरीअमावस्या: शनि की शांति के लिए निकला भक्तो ने निकाला चल समारोह पहुंचा शनि मंदिर की पूजा अर्चना ।
शनिश्चरीअमावस्या: शनि की शांति के लिए निकला भक्तो ने निकाला चल समारोह पहुंचा शनि मंदिर की पूजा अर्चना ।
डबरा । (पंचमहलकेसरीअखबार)शनिचरी अमावस्या पर शहर के सभी शनि मंदिरों में सुबह से भक्तों का पंहुचना शुरू हो गया और शनि को शांति करने भक्तों ने शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक किया और तिल-मगोड़े का भोग भी लगाया। शनि अमावस्या को लेकर सभी शनि मंदिरों पर तैयारियां की गई हैं। मंदिरों को सजाया गया है। इस मौके पर भण्डारों का भी आयोजन किया जाएगा।न्याय के देवता शनिदेव की कृपा दृष्टि पाने के लिए भक्त शनिवार को गरीबों का मसीहा सेवा समिति के तत्वावधान में पिछोर तिराहे से शनिदेव के छायाचित्र ठेले पर रखकर शनिदेव महाराज के नारे लगाते हुए मुख्य बाजार से चल समारोह निकाल कर गेडोल रोड दीदार कालौनी वार्ड नंबर नौ डबरा में शनि मंदिर का निर्माण कार्य में विराजमान शनिदेव महाराज जी की पूजा अर्चना की। भक्तों ने शनिदेव को सरसों का तेल, तिल,काला कपड़ा और लोहा आदि भेंट किया। गरीबों के मसीहा सेवा समिति के अध्यक्ष सोनू बौहरे , बालमुकुंद जोशी उपाध्यक्ष, शनिदेव मंदिर की संचालिका श्रीमती विमला देवी ने बताया कि अमावस्या हर महीनें आती है, लेकिन शनिवार को आने वाली अमावस्या का विशेष महत्व होता है। क्योंकि इस दिन शनिदेव रोहणी नक्षत्र को पार करते हैं, रोहणी नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा है। शनिस्त्रोत में उल्लेख है कि एक बार अयोध्या में भारी अकाल पड़ा था। अयोध्या के राजा दशरथ ने जब इसका कारण जानना चाह तो बताया गया कि शनिदेव रोहणी नक्षत्र का भेदन कर रहे हैं। इस कारण यह अकाल पड़ रहा है। इसके बाद राजा दशरथ शनिदेव से युद्ध करने के लिए उनके सामने गए।शनिदेव राजा दशरथ की अपने प्रजा के प्रति निष्ठा और प्रेम देखकर बहुत प्रसन्न हुएऔर उन्होंने राजा दशरथ को वरदान दिया कि वह जब तक जीवित रहेंगे वह रोहणीनक्षत्र का भेदन नहीं करेंगे। इस चल समारोह में संजूदागी, सुनील बंसल, कल्लू गर्ग, बिजेंद्र गुर्जर आदि शामिल रहे।
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