ग्वालियर। योजना बनी रोजगार का सहारा, सिकंदर जाटव उनकी धर्मपत्नी सपना भी काम में हाथ बटातीं। जैसे-तैसे परिवार का गुजारा भी चल रहा था। मगर सपना इस काम से संतुष्ट नहीं थीं। वह दिन-रात सोचा करतीं कि छोटी ही सही पर गाँव में अपनी एक किराना की दुकान खुल जाए। सपना का यह सपना मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना और ग्रामीण आजीविका मिशन ने पूरा कर दिया है। ग्वालियर जिले की ग्राम पंचायत मुख्तियारपुरा से जुड़े ग्राम तोर की निवासी श्रीमती सपना जाटव और उनके पति श्री सिकंदर जाटव की खुशी देखते ही बनती है। सपना का कहना है कि कोरोना कर्फ्यू और लॉकडाउन के दौरान भी हमारे परिवार पर रोजी-रोटी का संकट नहीं आया। गाँव में हमारी छोटी सी किराना की दुकान खूब चली। सपना बताती हैं कि भला हो ग्रामीण आजीविका मिशन और मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना का जिसने हमारे परिवार को आत्मनिर्भर बना दिया है।सपना जाटव ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित हुए लोढ़ीमाता स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं। वे बताती हैं कि पति की मजदूरी से जब घर का खर्च चलना मुश्किल हो गया तो हमने अपने स्व-सहायता समूह से मदद लेकर किराना की दुकान खोलने की सोची। इसी बीच प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन से प्रभावित हुए गाँव में फेरी लगाकर सब्जी-भाजी व रोजमर्रा की जरूरत का छोटा-मोटा सामान बेचने वाले लोगों की मदद के लिये मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना शुरू की। हमारे पति ने भी इस योजना से मदद लेने के लिये ऑनलाइन फार्म भर दिया। जल्द ही उन्हें 10 हजार रूपए की मदद मिल गई। इसके अलावा हमने 25 हजार रूपए समूह से लिए। इस प्रकार कुल 35 हजार रूपए लगाकर अपने गाँव में हमने “सपना किराना स्टोर” खोला। जब कोरोना की दूसरी लहर आई और जनता कोरोना कर्फ्यू लगा तब इस किराना की दुकान ने हमें टूटने से बचा लिया। हमारी किराना दुकान खूब चली और हर माह इससे 8 से 10 हजार रूपए की आमदनी हो रही है।लोढ़ीमाता आजीविका स्व-सहायता समूह से जुड़ीं सपना जाटव बताती हैं कि उनके गाँव में 7 स्व-सहायता समूह बने हैं जिनसे 93 महिलाएं जुड़ी हैं। स्व-सहायता समूहों ने महिला सशक्तिकरण को बड़ी रफ्तार दी है। ग्रामीण आजीविका मिशन से कौशल उन्नयन प्रशिक्षण और आर्थिक मदद लेकर गाँव की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए हैं। |
डबरा।सपना कहती हैं कोरोना कर्फ्यू में भी हमारी रोजी-रोटी पर संकट नहीं आया "खुशियों की दास्तां "एम एस बिशौटिया