भारतीय संविधान व इतिहास संस्कृति में बहुत रुचि जानकारी रखते हैं एस डी ओ पी --विवेक कुमार शर्मा ।
 भारतीय संविधान व इतिहास संस्कृति में बहुत रुचि  जानकार रखते हैं।  एस डी ओ पी --विवेक कुमार शर्मा ।
डबरा। भिंड जिले की अटेर तहसील में समाजसेवी श्री महावीर प्रसाद शर्मा के माता श्रीमती कुसुम शर्मा के कोख से   विवेक कुमार शर्मा ने जन्म लिया और वही सरकारी स्कूलों में अपनी पढ़ाई करते करते और पीएससी टॉपर के लिए पढ़ाई कर परीक्षा पास की और  ट्रेनिंग होने पर मित्रों के साथ मनोरंजन भी करते लेकिन जब कहीं खान-पान की पार्टी होती तो खाने और पीने के वाद मंथन किया करते थे  उनकी रुचि भारतीय संस्कृति संविधान व इतिहास में रहती है पुलिस विभाग में कार्यरत के साथ साथ यह अगर मित्रों के साथ बीच में समय निकल कर चर्चा करते रहते हैं, विवेक कुमार शर्मा की एक अनुभवी लड़की पूनम शर्मा से शादी हो गई लेकिन शादी होने के बाद वह ट्रेनिंग पर चले गए और ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वे कई जिलों में रहे धर्मपत्नी श्रीमती पूनम शर्मा ने भी  श्री शर्मा जी बहुत साथ दिया फिर वह ग्वालियर आने पर डबरा  अनुविभाग की जुम्मेदारी मिली है डबरा में  अनुविभागीय पुलिस अधिकारी पदस्थ उमेश तोमर के कोविड 19 कोरोनावायरस से बचाव नहीं होने के कारण उनका देहांत होने पर डबरा में एसडीओपी का पद खाली था उसके बाद इस पद पर ग्वालियर से विवेक कुमार शर्मा जी आसीन होने पर डबरा शहर में अपराध पर नियंत्रण करने में सफलता प्राप्त की और रेत माफिया पर लगाम कसने के लिए क्षेत्रीय थाना प्रभारी के रेत के घाटों पर दवास देकर कारवाही की जप्त किए ,रेत माफियाओं के खिलाफ अभियान जारी रखा है। अपराधो पर लगाम लगाने की पुरी कोशिश कर रहे हैं श्री शर्मा जी  ऐसे अधिकारी है जीवन में ऐसे अधिकारी ही सामाजिक छाप छोड़ा करते हैं जो हर व्यक्ति के लिए  कुछ करने की उम्मीद को जगाने का काम करते हैं अपनी सीट पर बैठ कर पुलिस विभाग का कार्य करते समय भी अपनी जो इतिहासिक व्यवस्थाओं के वारे में सोचते विचारों को डायरी में लिखने के वाद समय मिलते ही मित्रों  सामाजिक व्यक्ति के सामने व्यक्त करते हैं शर्मा जी कहते हैं कि बहुत ही अच्छे विचार है जो सुनने के लिए परिस्थितियो अनुसार अपने आप को  समय-समय पर अपने आपको परिवर्तन करना चाहिए  इतिहास का ज्ञान बहुत ही अति आवश्यक है आप चाहें कितने भी बड़े अधिकारी वन जाए । लेकिन इस  भारत देश के इतिहास को नहीं भूलना चाहिए । हम किसी भी वर्ग में  पैदा हुए हो वह हमारे बस में नहीं है लेकिन  हमें सभी जाति धर्म का सम्मान करते हुए पालन करना चाहिए यह इतिहास कहता है जो इतिहास में लिखा है वहीं हो रहा है हमारी  आस्था किसी भी धर्म को ठेस पहुंचाना नहीं है हम सभी धर्मों में सत्य को स्वीकार करने में आस्था रखना चाहिए। किसी भी बात को संवोधित करने से पहले विचार उसका मतलब का ज्ञान होना चाहिए ।  बहुत से अधिकारी आते हैं उन्हें सिर्फ अफसर बन कर सामाजिक दायित्व से दूर ही रहना पसंद करते हैं कुछ ऐसे होते हैं सामाजिक छाप छोड़ा करते हैं यह कब होता है जब इतिहास की जानकारी हो वेदों की रचना से ज्ञान प्राप्त कर लिया हो कुछ तो  सेवानिवृत्त होने पर घर में ही समय निर्धारित कर लेते हैं कुछ अपने विचारो को लेकर खुशियां बिखेरने समय निकाल लेती है।
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