वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने 9 अगस्त को बताया कि ये पश्चिम अफ्रीका का भी पहला केस है। Marburg एक जानलेवा वायरस है, जो इबोला (Ebola) से संबंधित है और कोरोनावायरस (coronavirus) की तरह जानवरों से इंसानों में फैल सकता है।
Marburg वायरस भी चमगादड़ों में पाया जाता है और इसकी मृत्यु दर 88 फीसदी है। WHO ने बताया कि वायरस सैंपल 2 अगस्त को जान गंवाने वाले मरीज से लिया गया था।
एशिया के WHO रीजनल डायरेक्टर डॉ मात्शिदिसो मोएती ने कहा, “Marburg वायरस के फैलने की क्षमता ज्यादा है और हमें इसे रोकना होगा।”
मानव शरीर में पहुंचने के बाद ये संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थ, संक्रमित सतह या चीजों के संपर्क में आने से फैलता है। 1967 से अब तक इस वायरस के 12 बड़े आउटब्रेक हो चुके हैं और ज्यादातर दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीका में हुए थे।
लक्षण और इलाज क्या हैं?
Marburg वायरस संक्रमण के लक्षणों में सिरदर्द, उलटी में खून आना, मांसपेशियों में दर्द और कई जगहों से खून आना शामिल हैं। कई मरीजों में सात दिनों के अंदर गंभीर रक्तस्रावी लक्षण देखे जाते हैं।
पिछले आउटब्रेक के मुताबिक 24-88 फीसदी तक मृत्यु हुयी है । ये वायरस के स्ट्रेन और केस मैनेजमेंट पर निर्भर करता है।Marburg के लिए कोई खास एंटीवायरस दवा या वैक्सीन नहीं है। CDC के मुताबिक, मरीज के फ्लूइड और इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण में रखना, सामान्य ऑक्सीजन स्टेटस और ब्लड प्रेशर बनाए रखना और ब्लड लेवल ठीक रखना काम आ सकता है।