भोपाल ।शिवराज सरकार में लगातार उपेक्षा के शिकार लघु समाचार पत्र अब आंदोलन की ओर अग्रसर दिखाई दे रहे है लघु समाचार पत्रों ने कई बार ज्ञापन देने के बाद भी जनसंपर्क मे बैठे अड़ियल कम सुनने वाले अधिकारियों पर जूं तक नहीं रेंगी सूत्रों की माने तो जनसंपर्क में वर्ष 2018 से नियमित विज्ञापन सूची मे सभी फॉर्मेलिटी पूरी कर चुके लघु अखबारों को अभी तक सूची में दर्ज नहीं किया है लगातार अखबार आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे है हजारों अखबार बंद होने की कगार पर है ऐसा ही लघु समाचारपत्र जिन्हें साल मे पांच विज्ञापन दिये जाते थे लेकिन जब से मुख्यमंत्री खुद जनसंपर्क के प्रभारी है तब से ही बंद कर दिये है आखिर जनसंपर्क का पैसा कहाँ लुटाया जा रहा है।यह जांच का विषय है सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री के नाम पर फर्जी संस्थाओं पर लाखो रुपए निपटाये जा रहे है वर्षो से जामे अधिकारी कमीशन के खेल मे व्यस्त है मुख्यमंत्री के नाम पर दिल खोल काम चालू है ऐसा ही हाल अधिमान्यता शाखा में चल है तीन साल से कोई मीटिंग नहीं फिर कैसे बन गये सेकड़ो अधिमान्यता कार्ड लंबा चोड़ा लेन देन की खबरें आ रही है बड़े राजनीतिक नेताओं के सम्पर्क से अधिमान्यता पत्रकार नगरपालिकाओ और अन्य विभागों में पदस्थ हैं लेकिन वे परमानेंट नहीं है इसलिए वे अधिमान्यता पत्रकार बनकर लाभ ले रहे हैं और नगरपंचयात नगरपालिकाओ से हर माह वेतन ले रहे हैं लेकिन सूत्र बताते हैं कि मंत्री के खाते से रखैल गए हैं इसलिए वेतन भी दिया जा रहा है सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया जा रहा जो लघु समाचार पत्रो के चिराग बुझे उनकी जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री जी आपकी है अगर विगाग नहीं संभल रहा स्तीफा दे देना चाहिए। और दुसरे को जनसंपर्क विभाग का मंत्री बना देना चाहिए। जो लघु अखबार पांच साल से अधिक हो गए हैं उनको नियमित रूप से सूचीबद्ध किया जाना चाहिए और एक साल में पांच विज्ञापन देना चाहिए जिससे अखबार के सहारे चल रहे परिवारो का भारणपोषण हो सके ।
भोपाल।2018 से जनसंपर्क कमेटी की मीटिंग न होने से नियमित सूची से बंचित लघु अखबार आंदोलन के मूड में।