( लेखिका- सीमा रंगा इंद्रा हरियाणा )
सुरक्षा कवच
अरे ,अरे, मैं तुझे कुछ नहीं कहूंगी ,बाहर आओ बाहर आओ देखो, मेरे बच्चे भी खेल रहे हैं, हम सब मिलकर खेलेंगे, बहुत मज़ा आ रहा है,आ जाओ तुम भी।नहीं-नहीं चिंटू मत जाना मम्मा ने मना किया है कि बिल से बाहर जाते ही खतरा ही खतरा है, और यह बिल्ली तुझे खा जाएगी चिंटू,बहन ने उसे समझाते हुए कहा पर यह तो खेलने के लिए बुला रही है। तभी तो मैं कह रही हूं बाहर नहीं जाना नहीं तो मैं मां को बताऊगीं ,लेकिन चिंटू बार-बार बाहर जाने की जिद कर रहा था।इतनी देर में ही चूहिया बाहर से आ जाती है, जिनको आते ही बच्चे सारी बातें बता देते हैं,कैसे बिल्ली हमें बाहर बुला रही थी। चूहिया ने तीनों को समझाते हुए कहा , यह बिल ही तुम्हारा सुरक्षा कवच है,जैसे ही बिल से बाहर निकले जिंदा नहीं बचोगे,इसलिए जब भी मैं खाना लेने बाहर जाऊं तुम अंदर ही रहना,पर मां वह मुझे अपने बच्चों के साथ खेलने को बुला रही है और बहुत प्यार करती है मुझसे,मैंने कहा ना नहीं ।बस नहीं जाना,अगली सुबह जैसे ही चूहिया खाना लेने गई ।बिल्ली आई,अरे! तुम आ जाओ खेलते हैं हम बहुत मजा आएगा आज,चिंटू तुरंत बाहर चला जाता है। दोनों ने बहुत मना किया, पर माना नहीं,थोड़ी देर बिल्ली उसके साथ खेली ताकि दोनों बच्चे भी बाहर आ जाए,जब चीनू मीनू बुलाने पर भी नहीं आए तो वह चिंटू को मुंह में दबाकर दूर ले गई ।बच्चे चिल्लाने लगे मम्मी मम्मी ओ मम्मी बचाओ,जैसे चूहिया ने सुना दौड़ी-दौड़ी भाग कर आई ,चिंटू नहीं है घबराकर बिल्ली की तरह भागी पर तब तक देर हो चुकी थी,चूहिया दोनों बच्चों को समझा रही थी देखो जो मां की बात नहीं मानता उसके साथ यही होता है,मैंने अपना एक बेटा खो दिया है,मैं तुम्हें नहीं खोना चाहती हूं।जब तक मैं ना कहूं तब तक तुम बिल के अंदर रहना,यह तुम्हारा सुरक्षा कवच है,दोनों बेटे मां को लिपटकर जोर-जोर से रोने लगे। और बोले मां जब तक हम बड़े नहीं हो जाते तब तक हम बाहर नहीं जाएंगे,जब आप हमें आज्ञा देंगे और हम इस लायक हो जाएंगे तो ही हम आपको बता कर जाएंगे,कभी भी आपको बिना बताए यहां से नहीं जाएंगे।