आओ! करें नमन नववर्ष का
भूल पुरानी यादों के समंदर को
मना ले नवल का त्यौहार
मिलझूल झूमे गीत गाए।
भूले दुःख -दर्द बीते वर्ष के
माफ करे दिए कष्ट जिन्होंने
इस नववर्ष की बेला पर
बना लेते हैं शत्रु को भी मित्र ।
चलेंगे संग में पुराने सखा
भुला देंगे दुःख भरी यादों को
अपनों का आशीर्वाद साथ में
नववर्ष को लगा लो गले ।
शीत- ऋतु की ठंड में करें आगाज
मन के मतवाले बन छा जा जग में
एक- दूजे का साथ निभा ले दोस्ती
आलस त्याग संघर्ष को लगाओ गले ।
सीमा रंगा इन्द्रा हरियाणा
स्वरचित रचना