माना कठिन है डगर, पर यूँ न तुम घबराना..
कदम कदम ही सही, अपने राह पर चलते जाना..
न बताना दुख किसी को,न अपना दर्द दिखाना..
जीवन के इस कठिन राह में खुद को कमजोर न होना..!!
माना कठिन है डगर, पर यूँ न तुम घबराना..
उठे तूफ़ाँ जिंदगी के सागर में, मझधार में न फस जाना..
पतवार चलाकर धीरे-धीरे, जीवन नैया तट पर लगाना..
न होना हताश तुम, बोध न अपना खोना..
जीवन के इस कठिन राह में, खुद को कमजोर न करना.. !!
माना कठिन है डगर, पर यूँ न तुम घबराना...
तिनका तिनका जोड़ कर खुशहाली का घरौंदा बनाना..
आशाओं का दिया जलाकर, घर को रौशन कर जाना..
कर्तव्यपथ पर चल कर, निष्ठा से कर्तव्य निभाना..
जीवन के इस कठिन राह में, खुद को कमजोर न करना..!!
माना कठिन है डगर, पर यूँ न तुम घबराना...
उड़े तरक्की की पतंग, ऊँचे नील गगन में..
न लाना घमण्ड कोई,अपने अंतर्मन में..
हौसला का मांझा ऐसे तुम पकड़ना..
पवन हो जाए बैरी, पर तुम नही डर जाना..
जीवन के इस कठिन राह में, तुम कमजोर न होना..!!
माना कठिन है डगर, पर यूँ न तुम घबराना..!!
स्वरचित और मौलिक
सरिता श्रीवास्तव अनूपपुर मध्यप्रदेश